घर में वास्तु के अनुसार मंदिर कैसे स्थापित करें

क्या आप वास्तु अनुरूप लकड़ी के मंदिरों की तलाश में हैं? क्या आप जानना चाहते हैं कि घर में वास्तु के अनुसार मंदिर कैसे स्थापित करें? तो आप सही जगह पर आये हैं।

सदियों से हम अपने विचारों को शुद्ध करने के लिए और सकारात्मकता लाने के लिए घर में मंदिर के लिए घर में मंदिर के लिए ह। मंदिर घरों में ही नहीं बल्कि कार्यस्थल, अस्पताल, रेस्टोरेंट, विद्यालयों और महाविद्यालयों में बेंदी देंचा े तो कहीं छोटे।

तो जो मंदिर हमारे लिए इतना महत्वपूर्ण है, उसके रख-रखाव और वास्तु से जुड़े कुछ तथ्यों को दान च़ा ं होगा। हमारे यहाँ सभी वास्तु में यकीन रखते हैं। सभी चीज़ो को वास्तु के अनुसार ही रखा जाता है. मंदिर को घर में अथवा ऑफिस में स्थापित करने के लिए कई चीज़ों का ध्यान रखना अति आवश्यक है. इस लेख के द्वारा हम आपके इन्ही कुछ सवालों का जवाब लेकर आये हैं.

लकड़ी के मंदिर को घर में रखते समय ध्यान रखने योग्य बातें:

मंदिर और प्लेटफार्म की उचित ऊंचाई:

मंदिर के गर्भगृह में भगवान कि मूर्तियां और फ्रेम रखे जाते हैं. इन्ही कि लम्बाई अनुसार गर्भगृह कि गहराई और उचाई होती है. परन्तु प्लेटफार्म की उचाई का पता आपके पूजा कि दशा से ही चल सकता है.

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यदि आप खड़े होकर पूजा करते हैं तो हमें ये ध्यान रखना चाहिए कि कोई भी मूर्ति या फ्रेम हमारे घेनो हमारे घेठे प्रेम हमारे घेऊ। और यदि आप किसी चौकी पर या ज़मीन पर चटाई बिछा कर बैठ पूजा करते हैं तो देवताओं क्रिती मूढे पृष्ठ ऊपर होने चाहियें। गर्भगृह में मूर्तियां साफ़ तरीके से दिखाई देनी चाहिए। और इसी वजह से प्लेटफॉर्म की ऊंचाई बनवाई जाती है.

मंदिर किस लकड़ी का बनवाएं ?

लकड़ी से बने हुए मंदिरों को आदर्श माना जाता है। शीशम की लकड़ी को अन्य लकड़ी के प्रकारों से ज़्यादा शुभ माना गया है. हालांकि, मंदिर किसी भी लकड़ी के प्रकार में बनाया जा सकता है. सभी लकड़ियों में से, तीन प्रकार की लकड़ी को मंदिर बनाने के लिए विशेष रूप से जाना जाता है, नावा ौन), और आम।

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संगमरमर के मंदिर भी उपयुक्त माने जाते हैं। साथ ही घर के मंदिर को सीधे फर्श पर नहीं रखना चाहिए। इसकी कोई नींव या सहारा जमीन के ऊपर होना चाहिए। मंदिर बनाने के लिए कांटो वाले पेड़ की लकड़ी का प्रयोग नहीं करना चाहिए.

मंदिर किस दिशा में रखें ?

घर या किसी अन्य स्थान पर रखा गया मंदिर सही वास्तु-निर्देशों के बिना अधूरा है.

1. वास्तु के अनुसार घर में सौभाग्य लाने के लिए हमें मंदिर को घर के उत्तर-पूर्वी Kana पूर्वी कोने में रखना चाहिए। यह भी कहा जाता है कि घर का उत्तर-पूर्वी भाग सकारात्मक ऊर्जा से भरा होता है.

2. यह अति महत्वपूर्ण है कि देवताओं का मुख पश्चिम में और उपासक का मुख पूर्व की ओर हो.

3. दीपक दक्षिण-पूर्व दिशा में रखना चाहिए।

4. पूजा-कक्ष घर का एक अनमोल हिस्सा है और भगवान की पूजा के लिए एक आदर्श स्थान है. कक्ष में पूजा करते समय हमारे और धरती के बीच में चटाई या कालीन या छोटे स्टूल (पूजा चौकी) का उपयोग अवश्य करना चाहिए.

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मंदिर को कहाँ और कैसे स्थापित करें ?

क्या ना करें:

1. लकड़ी का मंदिर शौचालय से सटा नहीं होना चाहिए; उसके ऊपर या नीचे भी नहीं.

2. बेडरूम में लकड़ी का मंदिर नहीं रखना चाहिए। हालाँकि, यदि कोई अन्य विकल्प नहीं है या आपके पास जगह कम है, तो आप मंदिर को कुछ ऊंचाई पर रहरि संगीत े आंखों के संपर्क से छिपाने के लिए इसे पर्दे या दरवाजे से ढक सकते हैं.

3. लकड़ी के मंदिर के अंदर कोई भी पैतृक चित्र न लगाएं । वास्तु के अनुसार इसे अशुभ माना जाता है.

4. हम लोग कई बार घर के मंदिर के ऊपर कुछ रख देते है, जैसी की नारियल हो गया, शंख हो गया. ऐसा करने से कोई हानि होती है, या फिर मंदिर के ऊपर कुछ भी रखना चाहिए?

यह आपने बिलकुल ठीक कहा, मंदिर के ऊपर भारी सामान नहीं रखना चाहिए, शास्त्रों के अनुसार पढे सा के है

5. मंदिर के अंदर टूटी या क्षतिग्रस्त मूर्तियों (खंडित मूर्ति) को रखने से बचें। इसके अलावा, यदि संभव हो तो भारी मूर्तियों को रखने से बचें क्योंकि वे लकड़ी के मंदिर को नुकसान पहुंचा सकती हैं।

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सही ढंग से चुना गया और सावधानी से रखा गया लकड़ी का मंदिर वर्षों तक चलता है. एक मंदिर किसी भी आकार या डिज़ाइन का हो सकता है। लकड़ी के मंदिर विभिन्न प्रकार के डिजाइनों में आते हैं और इन्हें आपकी आवश्यकताओं के अनुसा है. परमें कोई दरवाजे वाला देवता हैं और कुछ में सिर्फ 4 स्तंभ हैं या शीर्ष पर एक छोटा गुंबद. यह वास्तव में आप पर निर्भर करता है कि आपको क्या चाहिए.

मंदिर स्थापित करने की विधि:

  • मंदिर को शुद्ध करने से पहले आपको उस स्थान को भी शुद्ध करना होगा जहाँ पर आप मंदिर को रखेंगे , प्थाना को रखेंगे , प्थान को प्रत्ये को का छीटा मारने के बाद मंदिर पर लाल कुमकुम लगाएं।
  • मंदिर को स्थापित करने से पहले उसका शुद्धिकरण करना जरूरी है. शुद्धिकरण के लिए गंगाजल या जिनके पास गंगाजल उपलब्ध नहीं है तो एक कटोरी में सामान्य जल और शुद्ध मुद्ध और उसमें आम का पत्ता अथवा फूल लेकर अपने सीधे हाथ की तीन उँगलियों का पत्ता अथवा फूल लेकर अपने सीधे हाथ की तीन उँगलियों करके जल के छींटेरे मंचे में और इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए –

ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा।
 यः स्मरेत पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः ।

इसके अलावा आप इस मंत्र का उच्चारण भी कर सकते हैं –

ॐ श्री विष्णवे नमः

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मंदिर में मूर्तियों को कैसे स्थापित करें? 

    • सर्वप्रथम अपने इष्ट देव या देवी देवता की मूर्ति को मंदिर के बीच में रखें, और अन्य देवी देवी देव्दी उनके अगल – बगल में स्थापित करें। कोशिश हमें यह करनी चाहिए की ज्यादा भगवान् की मूर्तियां मंदिर में इकट्ठा न हों.
    • वास्तुशास्त्र के अनुसार मूर्तियों के बीच कम से कम एक इंच की दूरी अवश्य रखें. हमें इस बात का भी ख़ास ध्यान रखने की आवश्यकता है कि अगर कोई मूर्ति ऊँचे में है और दूसरी उच्च दूसरी परमेश्वर सरी मूर्ति पर ना लगें और मूर्तियों को एकदम आमने सामने भी ना आने दें, गर्भ गृह में मूर्ति़ सारे दिखाई देनी चाहिए। स्थापित मूर्तियां 8 इंच से अधिक ऊँची नहीं होनी चाहिए।
    • अगर हम इससे बड़ी कोई पत्थर की मूर्ति रखते हैं तो हमें उसकी प्राण -प्रतिष्ठा करनी होगी. तब हम उसकी पूजा आमने सामने बैठकर नहीं कर सकते. क्यूंकि पूजा करते समय भगवान् या इष्ट देव की मूर्ति के नेत्रों से जो तेज निकलेगा उसे हम सहन नहीं के लोकांना परमेश्वर इसलिए हमें बिलकुल सामने न बैठकर थोड़ा किनारे बैठकर ही पूजा करनी चाहिए। में हाथ जोड़े बैठे रहते हैं और कभी उनका सामना नहीं करते.

मंदिर को स्थापित करने का शुभ मुहूर्त 

अब बात करते हैं कि क्या मंदिर को स्थापित करने का कोई शुभ मुहूर्त भी होता है। वैसे देखा जाए, तो भगवान् को स्थापित करने का कोई मुहूर्त नहीं होता. मंदिर को जब भी स्थापित करें वही शुभ मुहूर्त कहलाता है. परमेश्वर शुभ मुहूर्त कि बात करें तो 365 दिनों में एक दिन ऐसा है जो कहलाता है -अभिजी करें , मुही कर पैंतालीस मिनट ( 11:45 AM) से लेकर बारह बजकर पैंतालीस मिनट
(12:45 PM) तक रहता है, और कहा जाता है कि इस अभिजीत मुहूर्त में आप जो भी काम करेंगे उसमें आप को विजय की प्राप्ति होगी।

हमारे घर में एक ऐसा मंदिर होना चाहिए जिससे घर की चारों दिशाओं में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाही रहे। यदि आप इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखेंगे, तो जीवन की बहुत सी परेशानियों से बचा जा सकता है.

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यदि फिर भी, घर के लिए कौन सा मंदिर चुनना है, इस बारे में आपके पास कोई प्रश्न हैं? लकड़ी या आकार तय नहीं कर पा रहे हैं? तो आप हमें कॉल करें या हमें इमेल Zviite.

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आप हमारे यूट्यूब चैनल पर भी मंदिर की १०० से अधिक वीडियो देख सकते हैं. 

हमारे पास हॉल और गार्डन के लिए छोटे वॉल हैंगिंग के मंदिरहैं. और बड़े फ्लोर स्टैंडिंग मंदिर भी उपलब्ध हैं।

हमारे यहाँ मंदिर बनाने के लिए शीशम लकड़ी और सागौन की लकड़ी (सागवान या सागौन) का प्रयोै जक .

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